LPG Price पर मंडराए संकट के बादल, अमेरिका-ईरान तनाव के बीच बढ़ सकते हैं दाम

AhmadJunaidJune 23, 2025357 Views


भारत में रसोई गैस यानी एलपीजी (LPG) आज हर घर की जरूरत बन चुकी है। लेकिन अब इस गैस पर संकट के बादल मंडराते दिख रहे हैं। पश्चिम एशिया में ईरान, इज़राइल और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव ने दुनिया भर के तेल और गैस बाजारों में हलचल मचा दी है। जानकारों का कहना है कि अगर यह तनाव और बढ़ा, तो भारत में एलपीजी की सप्लाई पर सीधा असर पड़ेगा और कीमतें बढ़ सकती हैं।

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भारत कितनी LPG विदेश से मंगाता है?

भारत की एलपीजी खपत पिछले 10 सालों में बहुत बढ़ी है। आज करीब 33 करोड़ परिवार एलपीजी पर निर्भर हैं। लेकिन इसके साथ ही देश की विदेशों पर निर्भरता भी बढ़ गई है। आज 66% LPG भारत बाहर से मंगाता है, जिसमें से 95% गैस सऊदी अरब, यूएई और कतर जैसे पश्चिम एशियाई देशों से आती है। यही वजह है कि अगर वहां युद्ध या तनाव बढ़ता है, तो भारत की सप्लाई पर असर पड़ सकता है।

सिर्फ 16 दिन का है स्टॉक 

रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत के पास LPG का जो स्टॉक मौजूद है, वो सिर्फ 16 दिनों की खपत के लिए ही काफी है। मतलब अगर सप्लाई कुछ दिन भी रुकी, तो घरेलू सिलेंडरों की किल्लत शुरू हो सकती है। वहीं कच्चे तेल (क्रूड ऑयल) के मामले में भारत के पास करीब 25 दिन का स्टॉक होता है।

LPG पर क्यों ज्यादा खतरा है?

LPG के मुकाबले दूसरे ऑप्शन बहुत कम हैं। शहरों में पाइप से मिलने वाली पीएनजी (PNG) गैस अभी भी सिर्फ 1.5 करोड़ घरों तक ही सीमित है। वहीं मिट्टी के तेल की सप्लाई अब लगभग बंद हो चुकी है। ऐसे में अगर LPG की सप्लाई रुकती है, तो शहरों में बिजली से खाना बनाना ही एकमात्र ऑप्शन रह जाएगा, जो आसान नहीं होगा।

पेट्रोल और डीजल में कोई टेंशन नहीं

अच्छी बात ये है कि पेट्रोल और डीजल को लेकर भारत को ज्यादा टेंशन नहीं है। भारत अपनी ज़रूरत का पेट्रोल-डीजल खुद बनाता है और उसका 40% पेट्रोल और 30% डीजल बाहर भी बेचता है। जरूरत पड़ने पर यह ईंधन घरेलू इस्तेमाल के लिए मोड़ा जा सकता है।

कीमतें बढ़ेंगी या हालात सुधरेंगे?

फिलहाल दिल्ली में LPG सिलेंडर की कीमत ₹853 है, जबकि पटना में ₹942, लखनऊ में ₹890 और मुंबई में ₹852 तक है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अभी हालात पूरी तरह से बेकाबू नहीं हैं, लेकिन सतर्क रहने की जरूरत है। अगर युद्ध और गहराया तो LPG के दाम में जोरदार उछाल आ सकता है।

हालांकि, सरकार से जुड़े अधिकारियों का मानना है कि ये बढ़ोतरी अस्थायी हो सकती है, क्योंकि सप्लाई और डिमांड का बैलेंस अभी बना हुआ है। जैसे ही तनाव कम होगा, वैसे ही कीमतें भी फिर से सामान्य हो सकती हैं।

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